एसिडम लैक्टिक या लैक्टिकम एसिडम (Lacticum Acidum) पेशाब की बीमारी, मधुमेह और गठिया वात रोग ,जोड़ों में दर्द, एसिडिटी , पेट फूलने और पेट दर्द, स्किन केयर (त्वचा सम्बंधित बीमारी) में इसका उपयोग होता है।
[ मठा या दही में ऐलकोहल मिलाकर तैयार होती है ] – यह पेशाब की बीमारी और बहुमूत्र ( diabetes ) रोगमें ही अधिक व्यवहृत होती है। बहुमूत्रकी बीमारीमें – जिसके पेशाब में अधिक चीनी ( sugar) रहती है, पेशाब परिमाणमें बहुत अधिक और बार-बार होता है, बहुत कब्जियतकी धातु हो, जिन्हें जुलाब लिये बिना पाखाना ही नहीं होता हो, उनकी बीमारी में यह अधिक फायदा करता है।
लैक्टिक ऐसिड-रोगी के पैर में पसीना होना । टेलुरियम, साइलिसिया, थूजा, ऐसिड-नाइट्रिक, ग्रेफाइटिस, कैलिं-कार्ब इत्यादि दवाओं में भी पैर में पसीना होने का लक्षण है; पर इनके पसीने में बदबू रहती है; लेक्टिक ऐसिड के पसीनेमें बदबू नहीं रहती।
लेक्टिक ऐसिड – इसकी क्रिया श्लैष्मिक-मिल्ली और सभी गाँठोपर होती है, जिससे पहले प्रदाह और उसके बाद बात-रोगकी तरह लक्षण पैदा होते हैं।
चरित्रगत लक्षण :
(१) सन्धि या (२) डिस्पेप्सिया – पेशी वात- रातमें भी हिलने-डोलनेपर बढ़ता है ; – खाई हुई चीज अम्ल में परिणत हो जाती है; गरम, कड़वी, तीती डकार आती है और पाकस्थली से मुँह तक जलन होती है; ऐसा मालूम होता है कि गले में एक गोला अड़ा हुआ है; (३) मुँह में पानी भर आता है, लार बहता है, के होती और जी मिचलाता है; (४) गर्भावस्थामें के, कमजोरी, रक्तहीनता तथा रक्त प्रदर रोगवाली स्त्रियोंकी केकी बीमारी ; (५) नाक से खून जाना ; (६) चीनी मिला बहुमूत्र– दिन-रात सभी समय पेशाब लगता है, पेशाब परिमाणमें अधिक, पेशाब रोक रखने की चेष्टा करने पर दर्द होता है।
ग्लैण्डों की बीमारी- बगल की गाँठोका फूलना और प्रदाह-इससे कलेजे तक दर्द होता है और वह दर्द हाथ तक चला जाता है।बगल की गाँठो का फूलना और प्रदाह-इससे कलेजे तक दर्द होता है और वह दर्द हाथ तक चला जाता है।
वात का दर्द- कमरमें दर्द, दर्द कन्धे तक जाता है; कमरके नीचे दर्दचलनेपर बढ़ता है। सभी गाँठोंमें तेज दर्द। हाथकी कलाई, कोहनी, अंगुलियोंके जोड़ या सभी जोड़ोंका फूल जाना और तेज दर्द (ऐक्टिया-स्पाइकेटा, कॉलोफाइलम ), घुटने तथा अन्यान्य सन्धियाँ कड़ीं, जकड़ीं और उनमें दर्द । लैक्टिक ऐसिड- गठिया-वात और पेशी-वात, दोनों ही तरहके बातों में उपयोगी है। इसका दर्द रातमें और हिलने-डौलने पर बहुत बढ़ता है, रोगीको बहुत अधिक पसीना आता है, चलने के समय समूचा शरीर काँपता है। रोगी अपने प्रत्यङ्ग आदि ठण्डे अनुभव करता है ।
गलेके भीतरकी बीमारियाँ-जलनके साथ एक तरहकी गरम गैस पाकस्थलीसे गले तक चढ़ती है, बहुत ज्यादा गोंदकी तरह लसदार बलगम निकलता है, इसके अलावा ऐसा अनुभव होता है कि मानों गलेमें एक पोटली या छोटे गोलेकी तरह पदार्थ अड़ा हुआ है, जिससे रोगी बराबर घूँट-सा निगला करता है।
गर्भावस्था में वमन-इस ऐसिड के सेवनसे आराम हो जाता है। बादकी दवाएँ- सोरिनम ।
क्रिया में व्याघात करनेवाली कॉफिया ।
किया-नाशक – ब्रायोनिया । क्रम – २x – ३० शक्ति ।