Homeopathic Medicine For Diabetes in Hindi | होम्योपैथिक दवाओं से बहुमूत्र का इलाज

ऐसिड एसेटिक (Acid Acetic) रोगीको तेज प्यास, शरीरका चमड़ा फीका और सूखा, शरीर में भयानक दाह, रह-रहकर पसीना होना, साफ पानीकी तरह बहुत बार पेशाब होना और उसके साथ ही पतले दस्त आना, वमन, शोथ इत्यादि लक्षण रहनेपर ( न रहनेपर भी ) ऐसिड एसेटिक फायदा करती है। 

युरेनियम नाइट्रिकम (uranium nitricum ) – २x, ६x, ३० शक्ति । विलायतके डॉ० ब्लेकने पहले पहल इस दवाकी परीक्षा की। चीनी मिला बहुमूत्र अर्थात् जिस रोगीके पेशाब में चीनी आती है (diabetes mellitus), दिन की अपेक्षा रातमें पेशाब अधिक और बहुत बार होता है, उसे यह दवा रोज २३ मात्रा ७-८ दिन तक सेवन करानेपर विशेष लाभ दिखाई देता है। बहुत भूख, अधिक प्यास, रोगीका मजेमें खाना-पीना, पर दिनोंदिन दुबला होता चला जाना, पेटमें वायु इकट्ठा होना, पेट फूलना ( emaciation and tympanitis ) – ये कई इस दवा के आनुषङ्गिक लक्षण हैं। डॉ० हियुजेसका कथन है— जिस बहुमूत्र रोगका मूल कारण डिस्पेप्सिया अर्थात् मन्दाग्नि है, उसमें यह फायदा करेगी ही। जखम, पाकस्थलीमें जलन, शरीर में जलन, पाकस्थली और डियोडिनम (पाकाशय और द्वादस अंगुल अंत्र ) में जखम, अधिक प्यास, वमन, पेट में दर्द इत्यादिकी भी यह एक महौषधि है। सम्पूर्ण ध्वजभंग, उसके साथ स्वप्नदोष, लिंग शिथिल, ठण्डा, पसीनामय । गर्भावस्था में स्त्रियोंको जब बहुत पेशाब होता है, तो उसकी भी यह एक लाभदायक दवा है। युरेनियम नामक धातुके साथ नाइट्रिक-ऐसिड मिलाकर यह तैयार होती है( मुझे इसकी २ x शक्ति से अधिक लाभ दिखाई देता है ) ।

सिजिजियम जम्बोलिनमं ( syzygium jambolinum ) – 8 और २४ शक्ति – यह भी चीनी मिले बहुमूत्रकी प्रधान दवा है। डॉ० बोरिकका कथन —“no other remedy causes in so marked degree the diminution and disappearance of sugar in the urine, अर्थात् पेशाबसे चीनीका परिमाण घटाने या दूर करनेवाली इसके जोड़ की प्रायः कोई दूसरी दवा नहीं दिखाई देती।” तेज प्यास, कमजोरी, दुबलापन, बहुत ज्यादा मात्रा में और बार-बार पेशाब होना, पेशाबका आपेक्षिक गुरुत्व बढ़ जाना ( specific gravity high ), बहुमूत्रके कारण शरीरमें घाव (diabetic ulceration ) आदि लक्षण भी इस औषधके अन्तर्गत हैं। पेशाबमें चीनी का भाग अधिक हो और रोगी बहुत कमजोर हो जाये तो इसका मूल अर्क ५-१०१५ बूँदकी मात्रा में नित्य ३ -४ बार, कम-से-कम २-३ महीने तक सेवन कराना पड़ेगा, नहीं तो आशानुरूप लाभ न होगा ( इसका टिंचर जामुन के बीजसे तैयार होता है ) ।

आर्सेनिक ब्रोमाइड arsenic bromide ) – इसका मूल अर्क (टिचर ) या २x, २-३ बूँदकी मात्रा में पानी के साथ नित्य एक बार सेवन करना चाहिये । यह एक प्रधान ऐण्टिसोरिक ( सोरा-दोष-नाशक ) ओर ऐण्टि साइकोटिक ( प्रमेह-दोष-नाशक) दवा है । साधारणतः चर्मरोग और गर्मीकी बीमारी वाली धातु के रोगियों के अनिंद्रा व बहुमूत्रकी बीमारीमें ही यह अधिक लाभदायक होता है।

एमॉन ऐसेटिक – बहुत ज्यादा चीनी मिला पेशाब, उसके साथ ही अत्यन्त पसीना, – पसीना इतना अधिक हो आना कि मानो नहा लिया हो ।

इसके आलावा ऐसिड-लेक्टिक, ऐसिड फास, रस- एरोमेटिक, क्रियोजोट, मस्कस, हेलोनियस आदि भी बहुमूत्रकी दवाएँ हैं।

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